सूरदास के जीवन परिचय

कक्षा 10 हिंदी पाठ्यक्रम (CBSE) में पाठ 1 है: क्षितिज भाग 2 (गद्य खंड) – "सूरदास के पद" (कवि: सूरदास) सारांश: यह पाठ सूरदास के भक्ति काल के पदों का संकलन है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण और यशोदा के बीच के प्रेमपूर्ण संबंध को दर्शाया गया है। खासकर बाल रूप में कृष्ण की शरारतें और माँ यशोदा की भावनाएँ सुंदर तरीके से व्यक्त की गई हैं। इन पदों में वात्सल्य रस की प्रधानता है। मुख्य बिंदु: 1. कृष्ण की बाल लीलाएँ – माखन चोरी, ग्वालों के साथ खेलना। 2. यशोदा का वात्सल्य भाव – माँ का स्नेह, चिंताएँ और गुस्सा। 3. भक्ति और प्रेम का मिश्रण – भगवान को माँ की नजर से देखना। भाषा शैली: ब्रज भाषा में रचित। छंद और लय का सुंदर उपयोग। भावप्रधान पद – भक्ति और प्रेम की अभिव्यक्ति। कवि परिचय (सूरदास): भक्ति काल के प्रमुख कवि। अष्टछाप के सदस्य। श्रीकृष्ण भक्ति के लिए प्रसिद्ध। इनकी रचनाएँ "सूरसागर", "साहित्य लहरी" आदि में संकलित हैं। अगर आप चाहें तो मैं पदों का भावार्थ, प्रश्न-उत्तर या व्याख्या भी दे सकता हूँ।

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